नींबू ख़ूब सजाऐ.. नींबू ख़ूब सजाऐ..
तर्क-ए - तअ'ल्लुक ही करना था तो पास में आये क्यूं थे? तर्क-ए - तअ'ल्लुक ही करना था तो पास में आये क्यूं थे?
नींबू निचोड़ती सोचूं हूँ मेरी भी य ही दशा हो री ह नींबू निचोड़ती सोचूं हूँ मेरी भी य ही दशा हो री ह
एक लौ अगर बुझ रही है तो जलानी क्यों है उजाला है चारों और तो लौ दिखानी क्यों है। एक लौ अगर बुझ रही है तो जलानी क्यों है उजाला है चारों और तो लौ दिखानी क्यों ह...
अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं। अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।
उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला। उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला।